Wednesday, 15 September 2010

कुछ नहीं लिख पाया

इस सप्ताह कुछ नहीं लिख पाया क्योंकि बचपन  का साथी संकल्प तिवारी (चिन्टु), मात्र पच्चीस वर्ष की आयु में,  एक होलीकाप्टर दुर्घटना में सदैव के लिये चला गया।  इंडियन एयर फ़ोर्स का यह होनहार पायलट, समय की होनहार से हार गया, और छोड गया अनगिनत यादें और बचपन के वो दिन।

कुछ ही दिन पहले संकल्प ने ढाका के बारे में भी कमेंट दिया था,



Gr8 wrk.. 'Dhaka' bhi padhi.. Lage raho inspector.. ;) ;)

मुझे क्या पता था कि ये चिन्टु का अंतिम कमेंट होगा मेरे ब्लाग में, अब तो बस पुरानी स्म्रतियां बार-बार  सजीव हो रही हैं। बचपन में वो साथ कामिक्स पडना, पतंग उडाना, क्रिकेट खेलना या फ़िर होली का रंग तैयार करना।
पहली बार लग रहा है कि शब्द कम पड रहे हों।

इस वीर सिपाही के माता-पिता को नमन जिन्होने अपने एकमात्र संतान को देश सेवा के लिये दान दे दिया। ईश्वर से यही प्रार्थना की अंकल-आंटी को इस दु;ख को सहने की  शक्ति दे। 

धन्य है संकल्प और धन्य है भारत भूमि जो ऐसे सपूतों  को जन्म देती है। 

श्रद्वांजलि उस कभी ना लौट के आने वाले एक सच्चे, वीर  भारतीय बेटे को। 








 

1 comment:

Komal said...

Very sorry to know about your friend.......May God bless his soul.