Thursday 14 October 2010

कायर घर में सोते हैं

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शीत बीतती ठिठुराते ही,
अन्न नहीं जहां खाने को।
उन्हीं गरीबों के पैसों से,
खेल निराले होते हैं।
देश लूटते देश के दु्श्मन
कायर घर में सोते हैं।१


रोटी को जहां तरसे बचपन,
बिकता यौवन कोठे में,
प्यासे रहते गांव नीर बिन,
मधु हाला हम पीते हैं।
देश लूटते देश के दुश्मन,
कायर घर में सोते हैं।२


जात-पात के भेदभाव पर
रोज लडा हम करते हैं।
मंदिर-मस्जिद ध्वंस करे,
और गर्व इसी में करते हैं।
देश लूटते देश के दुश्मन
कायर घर में सोते हैं।३


कागज के चंद टुकडों खातिर,
ईमान को गिरवी रखते हैं।  
वीरों की इस भूमि में अब,
घर-घर जयचंद पैदा होते हैं।
देश लूटते देश के दुश्मन
कायर घर में सोते हैं।४


दहेज बिना अबला जलती,
यहां बेटी कोख में मरती है।
बहनों से राखी बंधवा कर,
हम ही तो रावण बनते हैं।
देश लूटते देश के दुश्मन
कायर घर में सोते हैं।५


भटके हम अपने पथ से,
पश्चिम का पीछा करते हैं।
देव भूमि भारत में देखो,
अब मधु के झरने बहते हैं।
देश लूटते देश के दुश्मन,
कायर घर में सोते हैं।६


हथियार खरीदने हों,
या ताबूत शहीदों के।
देश चलाने वाले अपने,
हर बात में धंधा करते हैं।
देश लूटते देश के दुश्मन
कायर घर में सोते हैं।७


आतंकी मौजें करते जेलों में
नेता रहते प्रतिदिन दौरों में।
हत्यारों की खातिर होती,
जज, तारीख पे तारीख देते हैं।
देश लूटते देश के दुश्मन,
कायर घर में सोते हैं।८


हमारी मेहनत के धन पर,
ये नित घोटाले करते हैं।
लूट रहे हैं अपने हमको,
क्यों हम फ़िर भी सोते हैं?
देश लूटते देश के दुश्मन
कायर घर में सोते हैं।९


सीधी सच्ची जनता लुटती,
इन गुण्डों के बाजारों में।
जनता को ये मूर्ख समझते,
क्यों हम इनको ढोते हैं?
देश लूटते देश के दुश्मन
कायर घर में सोते हैं।१०


शिक्षा, कौशल, ज्ञान नहीं,
बस आरक्षण हम देते हैं।
योग्य जनों को ठुकरा कर,
न्याय कहां का करते हैं?
देश लूटते देश के दुश्मन,
कायर घर में सोते हैं।११


आरक्षण के विष के बदले,
शिक्षा का जो दीप जलाते।
मेहनत करनी पडती सबको,
योग्य युवा ही पूजे जाते।
देश हमारा आगे बढता,
विश्व गुरु हम फ़िर कहलाते।१२


लेकिन अपने नेता हैं जो,
दीमक बन ये रहते हैं।
खून चूसकर देश का अपने, 
स्विस बैंको को भरते हैं।
देश लूटते देश के दुश्मन,
कायर घर में सोते हैं।१३


स्विस बैंको में धरा हुआ
जो धन है इन गद्दारों ने।
देश का पैसा है वो अपना,
क्यों नहीं वापस लाते हैं?
देश लूटते देश के दुश्मन,
कायर घर में सोते हैं।१४


छोटे-मोटे, आस पडोसी
मान हमारा मर्दन करते।
फ़िर भी गांधी के बंदर हम,
झुकते रहते, सहते रहते।
शांति, क्षमा की पूजा करते,
अपमान घूंट का पीते हैं।१५


काश्मीर का जो रोना रोता,
हिंसा का जो कारण होता।
बांध गले में उस कुत्ते के,
घंटी क्यों नहीं देते हैं?
देश लूटते देश के दुश्मन
कायर घर में सोते हैं।१६


काट नहीं क्यों उंगली देते,
जो अरुणाचल पर उठती है।
फ़ोड नहीं क्यों आंखे देते,
बुरी नजर जो रखती हैं।
देश लूटते देश के दुश्मन,
कायर घर में सोते हैं।१७


वीर-विहीन क्या धरती अपनी,
क्यों हम ये सब सहते हैं?
देख दशा अब भारत की,
दिल से आंसु बहते हैं।
देश लूटते देश के दुश्मन,
हम कायर घर में सोते हैं।१८


लुटा नहीं है अभी भी सब कुछ,
जाग जायें यदि अब भी हम कुछ,
जाग उठें जो भरत के बेटे,
सिहों के भी दांत गिनेंगे।
ले आयेंगे अपनी किश्ती,
तूफ़ानों के बीच मोडकर।१९


जन्म दिया जिस भारत मां ने
पाला अपने आंचल जल से।
शीश नहीं अब झुकने देंगे,
प्रण ये आज करें हम मिलकर,
समय आये तो सिद्ध करेंगे
यह धरती वीरों की जननी है।२०


नहीं लडेंगे जात पात पर,
अन्याय का सीना तोडेंगे।
भ्रष्टाचार और आलस को,
आज अभी हम छोडेंगे।  
देश को अपने दिया क्या हमने,
आज अभी हम सोचेंगे।२१

20 comments:

Unknown said...

wow............u rocks

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर रचना|

Sarita said...

सुंदर अभिव्यक्ति.
चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. हिंदी ब्लागिंग को आप नई ऊंचाई तक पहुंचाएं, यही कामना है....
http://gharkibaaten.blogspot.com

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

aapne to gajab kar diya bhai.narayan narayan

कथाकार said...

पाटली- द विलेज, सरिता जी, नारद मुनि जी, उम्र कैदी जी, सुरेन्द्र जी और मेघा आप की उत्साहवर्धक टिप्पणियों के लिये धन्यवाद। :)

दीपक 'मशाल' said...

हिन्दी ब्लॉगजगत में आपका स्वागत है..ऐसी ही सुन्दर पोस्टों से हिन्दी ब्लॉग को समृद्ध करते रहिये.. नवरात्र और दशहरे की शुभकामनाएं..

कथाकार said...

आप सभी बुधीजनों का धन्यवाद :)

अजय कुमार said...

हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपने बहुमूल्य विचार व्यक्त करने का कष्ट करें

arganikbhagyoday said...

अच्छी जानकारी ! बिजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं !

कथाकार said...

अजय जी और योगेन्द्र नाथ जी आपके बहूमूल्य विचारों के लिये धन्यवाद :)

Asha Lata Saxena said...

अपने बहुत सटीक लिखा है |बधाई
आशा

कथाकार said...

आशा जी और संगीता जी आप दोनो की उत्साहवर्धक टिप्पणियों के लिये धन्यवाद :)

Hitesh The Depandable said...

aapke vicharon ke liye dhanyawad aur dher sari subhkamnayein aapne bahut aacha likha hai.sarthak aur satya likhne ke liye dhanywad.

कथाकार said...

हितेश जी धन्यवाद :)

Komal said...

Good one Sudhir, congrates......

Unknown said...

bahut sunder

Unknown said...

aur sach se oth proth..........

Unknown said...

Arjun Singh jisne desh ko kewal, bhrashtachar, resevation diya, ne desh ki kamar tod di hai

कथाकार said...

धन्यवाद कोमल जी और हिमांशु जी

jitendra joshi said...

बहुत सुंदर कविता है... कविता के माध्यम से समाज में हो रहे भ्रष्ट्राचार और कुरितियों के खिलाफ आपका अभियान वास्तव में अच्छा है.. जय हो....