Tuesday 18 September 2012

आकाशगंगा का यात्री

कल्पना कीजिये कि आप ट्रेन से अकेले  यात्रा कर रहे हैं और  आपका  गंतव्य एक छोटा सा रेलवे स्टेशन है। आप पहली बार इस स्थान पर जा रहे हैं और आपकी ट्रेन इस स्टेशन पर मात्र दो मिनट रुकती है। मध्य रात्रि का समय है और सारे सहयात्री आराम से सो रहे हैं। आपके साथ ढेर सारा सामान भी है। आपने अपने स्मार्ट्फ़ोन का जीपीएस प्रारंभ करके अपनी स्थिति देखनी चाही लेकिन फ़ोन में सिग्नल नहीं है। इस दौरान कितनी उधेडबुन रहती है कि मेरा स्टेशन ये वाला है या अगला वाला? कहीं इस आधी रात में गलत स्टेशन में ना उतर जाउं?

कल्पना कीजिये कि बीस जुलाई १९६९ को नील आर्मस्ट्रांग के मन में क्या बीत रही होगी, जब वो अपना कदम चन्द्रमा पर रखने जा रहे थे। ऐसा स्थान जहां पहले कोई मानव नहीं पहुंचा था। नील आर्मस्ट्रांग, एडविन एल्ड्रिन और माईकल कालिंस ने मिलकर पहली बार वह किया जिसे फ़िल्मों के सेट पर हम देखने भर से ही रो्मांचित हो जाते हैं। योजनानुसार, माईकल कालिंस चन्द्रमा की परिक्रमा करते रहे, जबकि आर्म्स्ट्रांग और एल्ड्रिन एक छोटे यान से चन्द्रमा की सतह पर उतरे। और बस उतरे ही नहीं सकुशल वापस धरती पर लौटे। उस समय तक और उसके बाद भी हमने सुपर हीरो को फ़िल्मों और कामिक्स में ही देखा था, परन्तु क्या ये तीनों पहले जीवित सुपर हीरो नहीं थे? जो विज्ञान की सहायता से धरती से अंतरिक्ष में गये और वहां से बिलकुल अनजान रास्ते पर चलते हुए चन्द्रमा पर पहुंचे और फ़िर वापस अपने यान को चलाते हुये धरती पर सकुशल उतरे। निश्चित रूप से इस सफ़लता के पीछे हजारों-लाखों वैज्ञानिकों का दिन-रात का श्रम था, फ़िर भी नील आर्मस्ट्रांग एक तरह से धरती के पहले दूत थे तो चंदा मामा तक गये। कोई नहीं जानता कि आने सालों में हम मंगल ग्रह पर भी पहुंच जाये, लेकिन जिस प्रकार हमारे जीवन में प्रथम बार होने वाली बातें कुछ विशेष स्थान रखती हैं। इसी प्रकार नील आर्मस्ट्रांग और एडविन एल्ड्रिन  की वह यात्रा, मानव सभ्यता की यादगार यात्रा थी और सदैव रहेगी।

 (चित्र साभार:नासा) 

रहस्यमयी अंतरिक्ष ने सदैव ही मानव को अपनी और आकर्षित किया है और कुछ ऐसे थे जो वहां पहुंचे और इस विशाल समुद्र में अपनी उपस्थिति जताई। नील, मानव सभ्यता तुम्हारी आभारी रहेगी कि तुमने अपनी टीम के साथ इस असंभव लगने वाले चैलेंज को लिया और बिना किसी गलती से पूरा किया।   

संभवत: यदि नील आर्मस्ट्रांग अपनी प्रेमिका से कभी कहते कि चलो दिलदार चलो चांद के पार चलो, तो वह निश्चित रूप से विश्वास करती क्योंकि कम से कम नील के बारे में तो यह बात विश्वास करने योग्य थी। 

नील आर्मस्ट्रांग अब इस धती पर नहीं रहे पर शायद कहीं अंतरिक्ष में...
श्रद्वांजलि इस महामानव को...            

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