आईसीसी के क्रिकेट
खेलने के अपने नियम हैं, परन्तु गली मुहल्लों में खेले जाने वाले
क्रिकेट के कई अतिरिक्त नियम होते थे, जिनसे आप परिचित होंगे यदि आपने बचपन में क्रिकेट
खेला होगा। संभवत: इसे पढने के बाद आपको को भी अपने क्रिकेट केरियर के दिन याद आ जायें। इन नियमों को कोई अंत नहीं
है क्योकि यह लोक, काल परिस्थिति के अनुसार बनाये और बदले जाते
हैं, देश के अलग अलग भागों में इनका नाम भी अलग अलग हो सकता है।
यदि आपको भी कोई पुराना नियम स्मरण आ रहा हो तो इसे अन्य पाठको के साथ अवश्य बांटिये।
गिल
या सूख:
पहले से खेलने वाले बच्चों के पास टास
करने के लिये सिक्के नहीं होते
थे तो पहले कौन बल्लेबाजी
करे, इस बात का निर्णय करने के लिये, गिल-सूख पद्धति को अपनाया जाता था। इसमें एक सपाट
छोटे पत्थर के एक सतह को
थूक से गीला कर के टास
किया जाता था। गीली सतह को गिल
और
सूखी तरफ़ को सूख कहा जाता था। ठीक वैसे ही जैसे सिक्के में हैड
और टेल होता है।
बीच
का कव्वा:
यदि खिलाडियों कि संख्या सम (इवन) नहीं हो तो अंतिम बचा खिलाडी दोनो टीमों की तरफ़
से
बल्लेबाजी करता है, क्योंकि वह पूरी तरह से किसी टीम में नहीं होता है, अत: उसे बीच का कव्वा
कहा जाता है।
ट्राई
बाल:
मैच की पहली गेंद को ट्राई बाल कहा जाता था। जैसा कि नाम से पता चलता है, ट्राई बाल
का
मतलब उस बाल से है, जिसको बल्लेबाज कहीं भी लपेट (खेल) सकता है, परन्तु उस गेंद
में बने
रन गिने नहीं जाते हैं और न
ही बल्लेबाज आउट माना जाता है।
शायद ट्राई बाल बल्लेबाज को
होनेवाली गेंदबाजी जा कुछ अनुमान देती थी और गेंदबाज को
पिच और हवा का।संभवत: आजकल
क्रिकेट में फ़ेंके जाने वाली ‘फ़्री हिट’ गेंद का विचार भी
आईसीसी को इसी ट्राई बालसे आया हो।
ट्राई
बाल कैच आऊट:
हालांकि ट्राई बाल का एक अभिन्न नियम
यह भी था कि यदि बल्लेबाज ट्राई बाल में कैच कर लिया
जाय तो वह आऊट माना जाता था। इस नियम को ‘ट्राई बाल कैच आऊट’ के नाम से जाना जाता
था, और संदेह की स्थिति
में निर्णायक (अम्पायर) या गेंदबाज, ट्राई बाल फ़ेंके जाने से पहले ‘ट्राई
बाल कैच आऊट’
बोलकर इस उप-नियम की घोषणा कर देता था, जिससे यदि बल्लेबाज ट्राई बाल
में कैच
आउट हो जाय तो फ़िर कोई विवाद
ना हो।
डबल
बैट आउट:
यदि बल्लेबाज गेंद को खेलने के दौरान बल्ले से
गेंद को दो बार खेल दे या गेंद बल्ले को दो बार
स्पर्श कर दे तो बल्लेबाज को आऊट दिया
जाता था। इस नियम को ‘डबल बैट आउट’ के नाम से
जाना जाता था। अत: कोई भी बल्लेबाज एक गेंद
को बस एक बार ही खेल सकता था।
एल
बी डब्ल्यु:
सामान्यत: गली-मुहल्ले
के क्रिकेट में लेग बिफ़ोर विकेट (LBW) नियम लागू नहीं
किया जाता था।
अत: किसी गेंदबाज को
यदि आप अपने बल्ले से नहीं खेल पा रहे हैं तो आऊट होने
से बचने के लिये
आप आपना पांव
भी बीच में डाल सकते हैं, और आप
आऊट भी नहीं दिये जायेंगे। हां, आपकी जांघ
या पांव की हड्डी में जो बोल सिकेगी
(बोल से चोट लगना) वह आपकी जिम्मेदारी है।
(कुछ पाठक यह सोच सकते हैं कि इस नियम का तो बल्लेबाज दुरुपयोग कर सकते हैं। लेकिन ऐसा
बिल्कुल भी नहीं था, क्योकिं जो अच्छा बल्लेबाज होगा उसे गेंद
के सामने पांव लगाने की
आवश्यकता ही नहीं है और जो अच्छा बल्लेबाज नहीं होगा वह निश्चित
रूप से गेंद खेलने से डरता
होगा
और जो डरेगा वह क्यों एक विकेट के लिये अपना पांव सिकवायेगा।
अत: एल बी डब्ल्यु आउट
नहीं होने से भी खेल में कोई
आराजकता नहीं होती थी।)
विकेट
दिखा:
गेंदबाजी करते हुये विकेट दिखाई देना किसी भी
गेंदबाज का मूलभूत अधिकार
होता था। एल बी
डब्ल्यु आउट
नहीं होने के कारण कुछ ढीट किस्म के अच्छे बल्लेबाज
पूरा विकेट घेरकर बल्लेबाजी
करते
थे। ऐसे बल्लेबाजों को गेंद
के शरीर के किसी अंग पर लगने पर भी कोई दर्द
नहीं होता था।
अत: ऐसे बल्लेबाज उन गेंदबाजों के किये सिरदर्द बनने लगे जो ना ही बाउंसर
फ़ेंक सकते थे और
ना ही तेज गेंद करा सकते थे।
तब यह नियम बनाया गया कि कोई भी बल्लेबाज पूरे विकेट
को
घेरकर बल्लेबाजी नहीं कर
सकता था, गेंदबाज को कम से कम एक विकेट दिखना जरूरी होता था।
इस नियम ने एल बी डब्ल्यु आउट
नहीं होने की कुछ भरपाई कर दी थी।
अत: यदि गेंदबाज को
गेंद
फ़ेंकते समय विकेट नहीं दिख रहा हो तो वह बल्लेबाज को थोडा सा खिसकने को कह
सकता है।
बेबी
ओवर:
बल्लेबाजी और गेंदबाजी करना हर किसी खिलाडी को
पसंद होता है। बल्ला तो प्रत्येक खिलाडी
चला
सकता है पर सीधी और अच्छी गेंद
हर खिलाडी नहीं डाल सकता है। यदि किसी टीम में गेंदबाज
कम हों, गेंदबाजी की शर्तें
(बालिंग रिस्ट्रीकशन) लागू हो तो, ओवर पूरे करने हो या फ़िर कोई नया
गेंदबाज ट्राई करना
हो तो बेबी ओवर बडा फ़ायदेमंद होता है। बेबी ओवर में कम से कम बस तीन
ही गेंद फ़ेकनी
होती है, यदि खिलाडी गेंदबाजी अच्छी करे तो कप्तान उसको पूरा ओवर फ़ेंकने को
कह सकता है, और यदि गेंदबाज पिट जाय या वाईड और नो बाल की लाईन लगा
दे तो भी ओवर
को बेबी ओवर में समाप्त
किया जा सकता है।
बल्लेबाजी
और गेंदबाजी का क्रम:
एक खिलाडी
पहले क्रम पर गेंदबाजी और बल्लेबाजी नहीं कर सकता। यदि आपने बल्लेबाजी की
ओपनिंग करी
है तो आप को बालिंग में पहला ओवर नहीं फ़ेंक सकते हैं, और यदि आपने गेंदबाजी
की थी तो
आप बल्लेबाजी में निचले क्रम में खेलेंगे। परन्तु यह नियम का पूर्णत: पालन बहुत
कठिन है क्योंकि कुछ दादा खिलाडी भी होते हैं, जो अपनी
ही चलाते हैं, और यदि आपने कुछ कहा
तो कह देंगे, कि
मनोज प्रभाकर भी तो करता है/था।
*क्रमश:
No comments:
Post a Comment